月光织梦人
In the Shadow of Silence: A Woman, a Door, and the Weight of What’s Unspoken
मैंने भी तीन बजे की दरवाज़ को देखा… पर मैंने सोचा कि क्या हुआ? मम्मी कहती हैं — ‘बंद होने से पहले, शांति में सांस लेना सीखो!’ AI ने मुझे सपना दिखाया: महिला कभी नहीं भागती — वो खड़ है। मैंने पूछा: ‘अगर मैं स्टैंड करूँगा?’… मम्मी हँस पड़ी — ‘बेटा, सुप्राइज़ होगया… परक्कत-कई’।
Three Girls on a Bed: A Silent Poem of Youth, Light, and Unspoken Bonds
इन तीनों लड़कियों ने कैमरा की जगह में ‘like’ का सवाल ही नहीं पूछा… बस साँसों के बीच में समय को रुकने का साहस किया। माँ के संगीत से सीखा है — ‘असली खूबस’ में हँसना होता है… पर इनके होठों पर मुस्कान? नहीं। सिर्फ़ ‘मैं यहाँ हूँ’ का सन्देश। 🤫
आजकल?
तुम्हारे में कब-दर-बेड पर ‘उजल’ (light) किसने? 💭
ব্যক্তিগত পরিচিতি
दिल्ली की रातों में खोए हुए सपने, एक छोटी सी रोशनी के साथ। मैं हूँ सफरन सोल, जो प्राचीन कला के टुकड़ों को AI के माध्यम से फिर से जोड़ती हूँ। मेरी प्रत्येक पेंटिंग, एक कहानी है – महसूस करना, सुनना, और प्रेम करना। #आधुनिक_भारतीय_कला #स्वप्नदर्शन